BASIC ELECTRONICS
सबसे पहले इलेक्ट्रॉनिक के बेसिक कॉन्पोनेंट और Equipment की जानकारी होना बहुत जरूरी है क्योंकि बेसिक कंपोनेंट की जानकारी के बिना या उन कंपोनेंट की वैल्यू राइटिंग और उनके कार्य के बिना आप किसी तरह का कोई भी सर्किट नहीं बना सकेंगे
Electronic के महत्वपूर्ण Components
इलेक्ट्रॉनिक के महत्वपूर्ण कंपोनेंट को दो पार्ट में डिवाइड किया गया है
1. Active इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट
2. Passive इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट
1. Active इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट :– वह घटक जो वोल्टेज या करंट के रूप में उर्जा का उत्पादन करते हैं या बिजली प्राप्त करने में सक्षम होते हैं सक्रिय घटक कहलाते हैं जैसे Transistor , Diode , Integrated circuits , LCD display , LED display ,CRT display , AC , DC etc


POWER SUPPLY (विद्युत प्रदायक) :- विद्युत प्रदायक यह शब्द अधिकांश विद्युत शक्ति आपूर्ति के संदर्भ में ही प्रयुक्त होता है यांत्रिक शक्ति के संदर्भ में यह बहुत कम प्रयुक्त होता है अन्य उर्जा के संदर्भ में यह प्रयुक्त ही नहीं होता है तकनीकी रूप से पावर सप्लाई एक ऐसा उपकरण है जो किसी एक प्रारूप वोल्टेज आवडती एसी या डीसी की विद्युत ऊर्जा के स्रोत से शक्ति या उर्जा लेकर किसी दूसरे उपकरण जिसे लोग कहते हैं के लिए आवश्यक प्रारूप में विद्युत ऊर्जा उपलब्ध कराती है विद्युत प्रदायक कहलाता है
विद्युत शक्ति आपूर्ति के अंदर स्थित पावर स्विचओं के कार्य करने के ढंग के आधार पर शक्ति आपूर्ति यूनिटी मुख्यतः दो प्रकार की होती हैं
1. लीनियर शक्ति आपूर्ति लीनियर पावर सप्लाई
2. एसएमपीएस स्विच बोर्ड पावर सप्लाई
1. AC से DC परिवर्तक —– दिष्टकारी
2. AC से AC परिवर्तक —– साइक्लोकन्वर्टर
3. DC से AC परिवर्तक — इनवर्टर
4. DC से DC परिवर्तक — किसी डीसी वोल्टेज से इनपुट लेकर उससे कम या अधिक या दोनों डीसी वोल्टेज में बदलता है
SMPS(स्विच बोर्ड पावर सप्लाई) :- Switched Mode Power Supply या SMPS एक प्रकार की POWER SUPPLY UNIT है जो Switching devices का उपयोग करके Unregulated AC या DC voltage को regulated DC में Convert करती है SMPS बिजली की one form को another form में Convert करने के लिए Switching Regulated का उपयोग करता है
उदाहरण के लिए हमारे घरों में जो electricity आती है वो एक alternating current (AC) है परन्तु Computer जैसे sensitive equipment को stable और efficient power supply की आवश्यकता होती है इसलिए PC के विभिन्न components को बिजली प्रदान करने के लिए SMPS का इस्तेमाल किया जाता है जो AC को स्थिर ऊर्जा में बदल देता है इसे हम direct current कहते है
AMPLIFIER’S :- यह एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस है जो कि एक सिग्नल के वोल्टेज तथा धारा को बढ़ा देता है या इसकी शक्ति को बढ़ा देता है
Weak signal —————>> Strong signal
एंपलीफायर का प्रयोग वायरलेस कम्युनिकेशन तथा ब्रॉडकास्टिंग आदि में किया जाता है आजकल इसका उपयोग सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस हेडफोन आदि में किया जाता है इनपुट सिगनल की पावर के मेग्नीट्यूड को बढ़ा देता है पावर एंपलीफायर कहलाता है
Input —————->> High Power (Output)
OSCILLATORS (दोलित्र) :– दोलित्र यह उच्च आवृत्ति वाली एसी को डीसी में बदलने के लिए रेक्टिफायर की जरूरत होती है ठीक इसी प्रकार डीसी को एसी में बदलने के लिए ओसीलेटर की आवश्यकता होती है दोलित्र वहां युक्ति है जो दिष्ट धारा डीसी को एसी में निर्गत करती है दोलित्र कहलाता है
USES (उपयोग) :- उपयोग हम सभी ने अपने घरों में इनवर्टर को देखा ही है जैसे ही मेन सप्लाई ऑफ होती है तो इनवर्टर तुरंत ही बैटरी से डीसी सप्लाई लेकर उसे एसी में बदलकर घरों में रोशनी या बिजली प्रदान करता है इनवर्टर में भी ओसीलेटर का यूज़ होता है 0 hz वाली आवृत्ति को 50 hz की आवृत्ति में बदलकर एसी का निर्माण कर देता है
BOOLEAN ALGEBRA :-
बूलियन बीजगणित एक प्रकार की गणित है जिसकी सहायता से हम किसी डिजिटल परिपथ का या तार्किक गेट का विश्लेषण करते है , और जिस प्रकार गणित में कुछ नियम और प्रमेय होती है जिससे हम जटिल गणनाओं को भी आसानी से हल कर सकते है ठीक इसी प्रकार बूलियन बीजगणित में भी कुछ नियम और प्रमेय होती है जिनकी सहायता से हम किसी जटिल डिजिटल परिपथ को आसान बना देते है या उपयोग में आने वाले तार्किक गेट की संख्या को समान परिणाम के लिए कम और आसान कर देते है जिससे हमारा डिजिटल परिपथ सरल और आसान हो जाता है।
अत: बूलियन बीजगणित एक गणितीय सिस्टम है जो तर्क पर आधारित होती है और जिसके खुद के नियम होते है जिनकी सहायता से किसी बूलियन गणितीय गणनाओं को आसानी से हल किया जाता है या उन्हें आसान बनाया जाता है और याद रखे की बूलियन गणित के आउटपुट के अनुसार परिपथ में आउटपुट लेने के लिए इस बूलियन गणित को परिपथ का रूप दिया जाता है अत: डिजिटल परिपथों में बूलियन बीजगणित अत्यधिक आवश्यक है।
बूलियन बीजगणित में दो चरों का उपयोग किया जाता है जिन्हें तर्क ‘0’ तथा तर्क ‘1’ कहा जाता है।
बूलियन बीजगणित के नियम और क़ानून निम्न है –
- बूलियन बीजगणित में किसी चर की दो अवस्था या दो मान संभव है जिन्हें तर्क ‘0’ तथा तर्क ‘1’ कहते है। यहाँ 0 = low (निम्न) और 1 = high (उच्च) को दर्शाता है |
- OR संक्रिया या योग संक्रिया : इसे + द्वारा प्रदर्शित किया जाता है , इसमें यदि दोनों इनपुट में से एक भी 1 हो तो आउटपुट 1 ही प्राप्त होता है।
आउटपुट = इनपुट पहला + इनपुट दूसरा
Y = A + B
- AND संक्रिया अथवा गुणा संक्रिया : इसे बिंदु अर्थात डॉट (.) से प्रदर्शित किया जाता है , इसमें 1 आउटपुट तभी आता है जब सभी इनपुट 1 हो अन्यथा 0 आउटपुट आता है।
Y = A . B
- NOT संक्रिया : इसे बार (-) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है , इसमें इनपुट का बिलकुल उल्टा आउटपुट प्राप्त होता है अर्थात यदि इनपुट 1 है तो आउटपुट 0 मिलता है और यदि इनपुट 0 है तो आउटपुट 1 प्राप्त होता है।
LOGIC GATE CIRCUIT :-
लॉजिक गेट (logic gate) : विभिन्न प्रकार की अर्धचालक युक्तियों को इलेक्ट्रॉनिक परिपथ में स्विच के रूप में प्रयुक्त की जाती है इन अर्द्धचालक युक्तियों में रिले , डायोड , ट्रांजिस्टर , एकीकृत परिपथ (आईसी) आदि प्रमुख है , चूँकि ये सभी परिपथ तार्किक बीजगणित पर आधारित होती है इसलिए इन सभी परिपथों को लॉजिक गेट कहते है।
लॉजिक गेट वे परिपथ होते है जिनमें एक से अधिक इनपुट लिए जा सकते है लेकिन एक विशेष तार्किक गणित क्रिया के बाद इनसे एक आउटपुट बाहर निकलता है अर्थात इनका इनपुट तथा आउटपुट एक विशेष तर्क पर आधारित रहता है।
लॉजिक गेट का प्रत्येक सिरा बाइनरी अवस्था शून्य (0) अथवा एक (1) को प्रदर्शित करता है , यहाँ 1 उच्च विभव को दर्शाता है और 0 निम्न विभव को दर्शाता है अर्थात यह भिन्न विभव अवस्था को प्रदर्शित करते है।
अत: बूलियन बीजगणितीय गणनाओं को परिपथ का रूप देने के लिए लॉजिक गेट्स का उपयोग किया जाता है , अर्थात किसी डिजिटल परिपथ में यदि कोई बूलियन गणितीय ऑपरेशन प्रदर्शन के के लिए लॉजिक गेट काम में लिए जाते है।
प्रत्येक लॉजिक गेट के लिए सभी संभव इनपुट के सन्दर्भ में उस लॉजिक गेट (तार्किक द्वार) का आउटपुट क्या होगा इसके लिए सभी संभव इनपुट के साथ इसका आउटपुट के साथ एक टेबल बनायीं जाती है जिसे लॉजिक गेट की सत्यता सारणी कहते है।
लॉजिक गेट कई प्रकार के होते है –
AND, OR, XOR, NOT, NAND, NOR, and XNOR गेट आदि।
इनमें से OR गेट , AND गेट तथा NOT गेट को मूल लॉजिक गेट कहते है।
- OR गेट
इस गेट में OR संक्रिया संपन्न होती है जिसके अनुसार जब दोनों इनपुट में से एक इनपुट उच्च होगा अर्थात दोनों में से एक भी 1 होगा तो आउटपुट में उच्च मान प्राप्त होता है अर्थात 1 प्राप्त होता है।
जब दोनों इनपुट शून्य (0) हो तो इस स्थिति में आउटपुट में शून्य प्राप्त होता है।
इसको गणितीय चिन्ह + द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
OR (और) गेट का चिन्ह , सत्यता सारणी निम्न है –
- AND गेट : इस गेट में AND संक्रिया होती है जिसके अनुसार जब दोनों इनपुट 1 या उच्च होते है तब आउटपुट 1 (उच्च) प्राप्त होता है अन्यथा 0 (निम्न) प्राप्त होता है।
AND संक्रिया के लिए गणितीय चिन्ह गुणा (X) का प्रयोग किया जाता है।
AND गेट के लिए सत्यता सारणी निम्न होती है –
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- NOT गेट :
इसमें NOT संक्रिया होती है , यह गेट इनपुट का उत्क्रमण आउटपुट में देता है अर्थात इनपुट का बिल्कुल उल्टा।
जब इनपुट में 1 (उच्च) दिया जाता है तो आउटपुट में 0 (निम्न) प्राप्त होता है और जब इनपुट में 0 दिया जाता है तो आउटपुट में 1 प्राप्त होता है।
इस गेट को इनवर्टर भी कहा जाता है क्यूंकि यह इनपुट को उल्टा या इन्वर्ट कर देता है।
चर के ऊपर बार (-) चिन्ह द्वारा NOT गेट को प्रदर्शित किया जाता है।
NOT गेट का चिन्ह , सत्यता सारणी निम्न होती है –

COMBINANTIONS OF GATES
मूल गेट को संयोजित करके विभिन्न उपयोगी गेट प्राप्त किया जा सकता है
- NAND GATE
- NOR GATE
- XOR GATE
- NAND GATE :- जब AND गेट के निर्गत अर्थात आउटपुट को NOT गेट के इनपुट में जोड़ दिया जाए तो इस प्रकार बने संयुक्त परिपथ को NAND कहते है , चूँकि यह AND और NOT गेट से मिलकर बना होता है इसलिए इसे NOT-AND गेट भी कहा जा सकता है। चूँकि यह गेट मूल गेट से मिलकर बना होता है इसलिए इसे सार्वत्रिक गेट कहा जाता है। गेट का चिन्ह निम्न है अर्थात इसे निम्न प्रकार प्रदर्शित किया जाता है NAND गेट के लिए सत्यता सारणी निम्न होती है

2. NOR GATE :- जब OR गेट के आउटपुट को NOT गेट के इनपुट में दे दिया जाए तो इस प्रकार बने इस परिपथ या गेट को NOR गेट कहते है। इसे NOT-OR गेट भी कहते है। चूँकि यह मूल गेट NOT और OR गेट से मिलकर बना होता है इसलिए इसे भी सार्वत्रिक गेट कहते है।
NOR गेट को निम्न चिन्ह द्वारा प्रदर्शित किया जाता है NOR गेट के लिय सत्यता सारणी निम्न होती है
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3. XOR GATE :- OR गेट को एक XOR गेट भी कहते हैं इसमें 2 निवेश ही दिए जाते हैं तथा एक निर्गत(OUTPUT) प्राप्त होता है यदि 1 अवस्था का केवल एक ही निवेश की एक्सक्लूसिव OR GATE में लगाया जाए तो निर्गत आउटपुट में एक अवस्था प्राप्त होगी
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