ब्रिटिश कुमाऊं गढ़वाल
ई0 गार्डनर |
जॉर्ज विलियम ट्रेल |
जॉर्ज गोबान |
जॉर्ज लूशिंगटन |
बैटन |
रैम्जे (कुमाऊँ का राजा) |
1815 में कुमाऊं तथा ब्रिटिश गढ़वाल पर अधिकार करने के पश्चात | अंग्रेजों ने ई0 गार्डनर को कुमाऊँ का पहला कमिश्नर नियुक्त किया |
ई0 गार्डनर
ई0 गार्डनर के सहायक के रूप में ट्रेल को भी नियुक्त किया गया था | हालांकि गार्डनर ने 9 महीने कमिश्नर पद संभाला |
किंतु इस दौरान उन्होंने अनेक थानों , कार्यालयों , तहसीलों की जांच की | एवं कुमाऊं में 7 तहसील व 5 थानों का गठन किया | यह संगौली संधि की पुष्टि के लिए काठमांडू चले गए |
जॉर्ज विलियम ट्रेल
यहां पर वास्तविक प्रशासन की नींव ट्रेल ने रखी थी | उन्होंने इस क्षेत्र को 26 परगनों में बांटा | इनके समय एक बंदोबस्त (जो 1823 में हुआ था) अस्सीका बंदोबस्त के नाम से जाना जाता है | इसके तहत सभी गांव की सीमा क्षेत्रों का निर्धारण किया गया |
1815 से 1833 के बीच ट्रेल ने 7 बंदोबस्त कराए | उन्होंने कोर्ट फीस के रूप में स्टांप शुल्क की शुरुआत की थी |
इसके पश्चात जॉर्ज गोबान कमिश्नर बनाए | इसी के समय इस क्षेत्र में दास प्रथा को समाप्त किया गया था |
जॉर्ज लूशिंगटन
जॉर्ज लूशिंगटन के समय नैनीताल शहर की स्थापना हुई थी |
इसने बैटन के नेतृत्व में 1833 के रेगुलेशन एक्ट के तहत आठवीं भूमि बंदोबस्त करवाया था |जिससे बैक प्रोसेस बंदोबस्त कहा जाता है |
बैटन
इसके समय नैनीताल को मुख्यालय बनाया गया |
प्रशिक्षित पटवारियों की नियुक्ति की | तथा डाक बंगले एवं विद्यालयों की स्थापना की गई |
रैम्जे
यह स्कॉटलैंड का निवासी था | तथा डलहौजी का चचेरा भाई था | यह कुमाऊ का सबसे लोकप्रिय कमिश्नर था | इसे लोग कुमाऊ का राजा भी कहते थे |
इसकी लोकप्रिय के कारण ही 1857 की क्रांति का क्षेत्र पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा | इसकी दो बड़ी उपलब्धियां तराई तथा भाबर को आबाद किया था |
इसके समय 1863 – 1873 तक विकेट बंदोबस्त किया गया था |
ब्रिटिश गढ़वाल का मुख्यालय पहले श्रीनगर में था | 1840 में यह पौड़ी में बनाया गया |
1854 -1890 ब्रिटिश कुमाऊ गढ़वाल में 2 जिले थे | ब्रिटिश गढ़वाल और अल्मोड़ा 1890 में अल्मोड़ा से नैनीताल जिला बनाया गया था | 1901 में इस समूचे क्षेत्र को संयुक्त प्रांत में शामिल किया गया |
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