टिहरी
सुदर्शन शाह | 1815-1859 (सभासार पुस्तक) |
भवानी शाह | 1859-1871 |
प्रताप शाह | 1871-1888 |
किर्ती शाह | 1888-1913 |
नरेंद्र शाह | 1913-1943 |
मानवेंद्र शाह | 1946-1949 |
अंग्रेजों ने गढ़वाल तथा कुमाऊं को गोरखा शासन से मुक्ति दिलाई थी | तथा गढ़वाल के पश्चात कुमाऊँ पर अंग्रेजों का शासन प्रत्यक्ष रूप से स्थापित हो गया |
सुदर्शन शाह को हर्जाने के रूप में कुछ धनराशि अंग्रेजों को चुकानी थी | किंतु इसे न चुका पाने के कारण अंग्रेजों ने देहरादून एवं मंडी क्षेत्र तथा अलकनंदा का पूर्वी क्षेत्र (जिसे बाद में ब्रिटिश गढ़वाल कहां गया) कोअपने अधिकार में ले लिया | ब्रिटिश गढ़वाल को कुमाऊं में शामिल कर लिया गया , तथा देहरादून और मंडी को सहारनपुर मंडल में शामिल कर दिया गया |
अलकनंदा के पश्चिम में सुदर्शन शाह ने अपनी सत्ता स्थापित की | तथा उनकी यह रियासत “टिहरी रियासत” के नाम से जानी गई |
1 :- सुदर्शन शाह
सुदर्शन शाह ने भागीरथी और भिलंगना के संगम पर स्थित गणेश प्रयाग ( जिसका एक नाम त्रिहरी भी था |) को अपनी राजधानी बनाया | राजधानी बनने से पूर्व यहां मछुआरों की छोटी-छोटी बस्तीयाँ थी | 1848 में सुदर्शन शाह ने यहां पर अपना राजप्रसाद बनाया | जिससे ‘पुराना दरबार’ कहा जाता था |
यही दरबार भवानीशाह और प्रताप शाह का भी निवास स्थान रहा | सुदर्शन शाह ने सात खंडों में सभासार नामक पुस्तक की रचना की |
1857 की क्रांति के समय सुदर्शन शाह ने अंग्रेजों का समर्थन किया | यहां की जनता ने 18 57 की क्रांति के समय अंग्रेजों का समर्थन किया | क्योंकि यहां के लोगों के ने अंग्रेजों से पूर्व गोरखा शासन देखा था | जो अत्याचार और क्रूरता का परिचालक था | सुदर्शन शाह ने अंग्रेजों की सुरक्षा के लिए मसूरी में सेना की एक टुकड़ी भेजी |
1857 क्रांति के पश्चात ब्रिटिश सरकार ने बिजनौर जिले को सुदर्शन शाह को देने का प्रस्ताव किया | किंतु सुदर्शन शाह पुराने क्षेत्रों देहरादून और ब्रिटिश गढ़वाल को लेना चाहते थे | इसके लिए , उन्होंने सरकार से बात भीकी | किन्तु उसी दौरान इनकी मृत्यु हो गई |
सुदर्शन शाह ने कांगड़ा के राजा अनिरुद्ध चंद की दो बहनों से विवाह किया था , किंतु यह निसंतान थे |
2 : – भवानी शाह
सुदर्शन शाह की मृत्यु के पश्चात उनके दो रिश्तेदारों ने गद्दी पर अपनी दावेदारी की | किन्तु कुछ लोगों ने भवानी शाह को शासक बनाया जबकि शेरशाह लगातार भवानी शाह को गद्दी से हटाने का प्रयास करता रहा था |
कुमाऊँ के कमिश्नर रैम्जे ने इस विवाद को सुलझाया | शेरशाह को देश निकाला दे कर , देहरादून में नजरबंद किया |
भवानी शाह साधारण व्यक्तित्व के व्यक्ति थे| उनके 3 पुत्र थे |
3 :- प्रताप शाह
प्रताप शाह ने टिहरी को गर्मियों में राजधानी के लिए उपयुक्त नहीं माना | तथा टिहरी से लगभग 24 किलोमीटर दूर प्रताप नगर बसाया , तथा इसे ही अपनी राजधानी बनाया |
उन्होंने अपने राज्य में अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन दिया |
टिहरी रियासत में अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन देने वाले यह पहले राजा थे |
अपनी शक्ति को बढ़ाने के लिए उन्होंने अन्य रियासते जैसे गुलेर , सुकेत , मंडी आदि रियासतों से वैवाहिक संबंध स्थापित किए | उनके 3 पुत्र थे – कीर्तिशाह , विचित्र शाह और सुरेंद्र शाह |
4 :- कीर्तिशाह
कीर्तिशाह अल्प आयु में शासक बने थे | इसलिए प्रशासन चलाने के लिए रानी गुलेरिया के नेतृत्व में एक संरक्षण मंडल बनाया गया |
कीर्तिशाह की प्रारंभिक शिक्षा बरेली एवं उच्च शिक्षा में मेयो कॉलेज जयपुर में हुई |
छात्र जीवन में ये मेधावी थे | इन्हें तीन स्वर्ण एवं 11 सिल्वर पदकों से सम्मानित किया गया था |
अंग्रेजों ने इसे कपेनियन ऑफ इंडिया तथा नाइट कमांडर का सम्मान दिया था |
जब इंग्लैंड यात्रा पर गए थे | तो उन्हें 11 तोपों की सलामी दी गई थी |
उन्होंने टिहरी में प्रताप हाई स्कूल तथा हीवेट संस्कृत पाठशाला की स्थापना की |
श्रीनगर में राजकीय विद्यालय में छात्रावास के निर्माण हेतु कुछ धनराशि दान में दी |
उन्होंने टिहरी में आधुनिक यंत्रों से सुसज्जित वेद शालाओं का निर्माण कराया | इससे खगोलीय गणना एवं सौर मंडल एवं तारामंडल की जानकारी ली जाती थी |
रियासत की जनता को सबसे पहले विद्युत से परिचित कराने का श्रेय कीर्तिशाह को जाता है | उन्होंने नगर पालिकाओं , कचहरियों का निर्माण करवाया |
उत्तरकाशी में कुष्ट खाने/कोड़ीखाने का निर्माण करवाया| कृषि बैंक की स्थापना की | तथा आधुनिक छपाखाना स्थापित करवाया |
कीर्तिशाह पर रामतीर्थ के विचारों का प्रवाह था | कीर्तिशाह ने रामदर्थ को धर्म सम्मेलन में भाग लेने के लिए जापान भेजा था |
इन्होंने अलकनंदा नदी के दाएं तट पर कीर्तिनगर नामक नगर बसाया| एवं इसे अपनी राजधानी बनाया | इन्होंने सभी धर्मों के विद्वानों की एक सभा बुलाई , जिसमें अध्यात्म पर चर्चा की गई |
5 :- नरेंद्र शाह
नरेंद्र शाह भी अल्पायु में गद्दी पर बैठे थे | इसलिए प्रशासन चलाने के लिए रानी नेपालीया के नेतृत्व में एक संरक्षण मंडल मनाया गया था | किंतु के कारण बाद में नेपालिया को हटाकर उनके स्थान पर एक स्थानीय नागरिक अधिकारी को रखा गया |
नरेंद्र शाह ने वन विभाग के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए | अपनी रियासत के युवाओं को फॉरेस्ट ट्रेनिंग अकैडमी देहरादून में प्रशिक्षण दिलवाया |
इनमें से कुछ युवाओं को फ्रांस एवं जर्मनी जाकर प्रशिक्षण लेने का मौका मिला |
उन्होंने टिहरी में प्रताप हाई स्कूल का उच्चीकरण करके , उसे इंटर कॉलेज बनाया |
इन्होंने नरेंद्र नगर (1921) की स्थापना की नरेंद्र नगर से देवप्रयाग और कीर्तिनगर तक सड़क का निर्माण करवाया | एवम सड़क मार्ग द्वारा नरेंद्र नगर को टिहरी से जोड़ा|
इनके समय महत्वपूर्ण घटना 1930 में तिलाड़ी कांड तथा 84 दिन की भूख हड़ताल के बाद श्री देव सुमन की मृत्यु थी |
नरेंद्र शाह की 1950 में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी |
6 :- मानवेंद्र शाह
तिलाड़ी कांड , राकलाना विद्रोह एवं टिहरी रियासत की जनता की मांगों को देखते हुए , यह निश्चित हो गया था , कि अब टिहरी रियासत का भारत संघ में विलय किया जाएगा|
1 अगस्त 1950 को टिहरी का भारत संघ में विलय किया गया |तथा टिहरी संयुक्त प्रान्त का जिला बनाया गया |