उत्तराखंड की नदियां भाग -2 || भागीरथी नदी तंत्र ||
भागीरथी नदी गंगोत्री से लगभग 19 किलोमीटर आगे गोमुख ग्लेशियर से निकलती है | गोमुख ग्लेशियर गंगोत्री ग्लेशियर का दक्षिणी भाग है | गंगोत्री उत्तराखंड का सबसे बड़ा ग्लेशियर है |
गोमुख से निकलने के पश्चात् भागीरथी में पहली नदी रुद्रगंगा मिलती है | जो गंगोत्री ग्लेशियर के निकट रुद्रगेरा नामक ग्लेशियर से निकलती है |
उसके पश्चात् गंगोत्री में भागीरथी का मिलन केदारताल से निकलने वाली नदी केदारगंगा से होता है | माना जाता है की गंगोत्री में राजा सगर के वंशज भगीरथ ने तपस्या की थी | यहां पर गंगा का एक मंदिर है |जिसका निर्माण गोरखा सेनापति अमर सिंह थापा ने किया था |
इसके पश्चात् गंगा भैरों घाटी में थांगला दर्रे से निकलने वाली जान्हवी नदी या जाड गंगा नामक नदी से मिलती है |
उसके पश्चात झाला में सियागंगा या सियागाड़ से मिलती है | और आगे बढ़ने पर गंगोरी नामक स्थान पर डोडीताल उत्तरकाशी से निकलने वाली अस्सी गंगा से संगम होता है |
अन्ततः अपनी सबसे प्रमुख सहायक नदी भिलंगना से गणेश प्रयाग टिहरी में इसका संगम होता है | भिलंगना नदी खतलिंग ग्लेशियर से निकलती है | इसकी प्रमुख सहायक नदियां दूधगंगा , मेदगंगा ,बालखिला आदि प्रमुख है |
इसके पश्चात् भागीरथी देवप्रयाग की और प्रस्थान करती है | तथा वहाँ 205 किलोमीटर बहने के बाद गंगा बनती है |
भूगोल वेताओं के अनुसार गंगोत्री ग्लेशियर 2.3 मीटर प्रतिवर्ष की दर से पिघल है | तथा हिमालयी ग्लेशियरों की पिघलने की दर पुरे विश्व में सर्वाधिक है |