उत्तराखंड की जलवायु
किसी भी स्थान की जलवायु उस स्थान की भौगोलिक स्थिति तापमान , वर्षा , पर्वत श्रेणियों की दिशा , ढाल , समुद्र से ऊंचाई आदि कारकों पर निर्भर करती है | इन कारकों से अलग-अलग क्षेत्रों में जलवायु में विषमता देखने को मिलती है | उत्तराखंड की जलवायु का अध्ययन करने के लिए तीन रूपों को आधार बनाया गया | जो निम्न प्रकार से है –
1 – ग्रीष्म / रूढी / खर्साऊ –
सूर्य के उत्तरायण होने पर कर्क रेखा पर विषुवतीय रेखाओं में दशाओं का सृजन होने लगता है | जिस कारण उत्तराखंड में उष्णकटिबंधीय जलवायु दशाएं पाई जाती हैं | तापमान अधिक तथा दाब कम होता है |
शिवालिक श्रेणी का तापमान 30 से 38 डिग्री सेंटीग्रेड होता है | जबकि इसके दक्षिणी मैदानी भागों का तापमान लगभग 43 से 44 डिग्री सेंटीग्रेड तक पहुंच जाता है | किंतु हिमालयी चोटियां ग्रीष्म में भी बर्फ से आच्छादित रहती है |
2 – वर्षा ऋतु
15 जून के आसपास मानसून उत्तराखंड में पहुंचता है | तथा इस समय उत्तराखंड में अप्रैल में 150 से 200 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है |
वर्षा के दृष्टिकोण से इसे चार भागों में बांटा जाता है |
1 – सबसे कम वर्षा –
सबसे कम वर्षा 40 से 80 सेंटीमीटर तक होती है जो की वृहद हिमालय में होती है |
2 – कम वर्षा –
यह वर्षा 80 से 120 सेंटीमीटर तक मध्य हिमालय में होती है |
3 – अधिक वर्षा –
यह वर्षा 120 से 200 सेंटीमीटर तक दून , द्वार तथा नदी घाटियों में होती है
4 – अत्यधिक वर्षा –
यह 200 सेंटीमीटर से अधिक होती है | यह वर्षा शिवालिक , तराई , भाबर में होती है |
नोट – उत्तराखंड में सर्वाधिक 318 सेंटीमीटर वर्षा नरेंद्र नगर में रिकॉर्ड की गई है |
3 – शीत ऋतु – (अक्टूबर से मार्च ) के मध्य मध्य –
इसे ह्यूंद भी कहा जाता है | उत्तराखंड में जनवरी में तापमान अपने निम्नतम स्तर तक पहुंच जाता है | इस समय राज्य में 1500 मीटर से ऊंची सभी स्थानों पर बर्फबारी या हिमपात शुरू हो जाता है किंतु के जल्दी पिघल भी जाता है |
सर्दियों में उत्तर भारत के कुछ अन्य राज्यों के समान उत्तराखंड के पौड़ी , टिहरी , अल्मोड़ा , देहरादून आदि जिलों में हल्की-फुल्की बारिश होती है |
यह वर्षा पश्चिमी विक्षोभ जो की भूमध्य सागर से नमी ग्रहण करते हैं | एवं ईरान अफगानिस्तान से होते हुए इस क्षेत्र में प्रवेश करते हैं | और लगभग 12 से 12.5 सेंटीमीटर वर्षा करते हैं | इस समय उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में तापमान अधिक गिर जाता है जबकि मैदानी क्षेत्र कोहरे से ग्रस्त रहते हैं |