उत्तराखंड का भौगोलिक विभाजन – 1
भौगोलिक दृष्टिकोण से उत्तराखंड को निम्न 8 भागो में बांटा जाता है |
1- ट्रांस हिमालय |
2- महान हिमालय |
3- मध्य हिमालय |
4- दून या द्वार |
5- शिवालिक श्रेणी |
6- भाबर |
7- तराई |
8- मैदानी भाग |
1- ट्रांस हिमालय
ट्रांस का अर्थ होता है – के पार , अर्थात ‘ हिमालय के पार स्थित भू – भाग ‘ ट्रांस हिमालय कहलाता है |
इसका कुछ भाग उत्तराखंड में तथा शेष तिब्बत में स्थित है | यहां पर आवागमन के लिए संकरी घाटियां पायी जाती है , जिन्हे दर्रा, धुरा या गिरिद्वार कहा जाता है |
उत्तराखंड में 3 प्रकार के दर्रे होते है |
1- अंतराष्ट्रीय दर्रे –
वे दर्रे जो उत्तराखंड के किसी जनपद को किसी देश के साथ जोड़ते है | अंतराष्ट्रीय दर्रे कहलाते है | ये तीन जिलों में है –
1- पिथौरागढ़ और तिब्बत जोड़ने वाले दर्रे –
1-लम्बिया |
2-लेविधुरा |
3-ऊंटाजयंती |
4-नविधुरा |
5-मनस्य |
6-लिपुलेख |
नोट – लिपुलेख दर्रा भारत – तिब्बत एवं नेपाल की सीमा पर स्थित है |4 इसलिए इसे “ट्राई करेंट पास ” भी कहते है | कैलाश मानसरोवर यात्रा इसी दर्रे से होकर गुजरती है |
नोट– इन्ही दर्रो से होकर भोटिया लोगो का तिब्बत के साथ शौका पड़िया व्यापार भी होता है |
2 – तिब्बत – चमोली जोड़ने वाले दर्रे –
1- निति माणा |
2 – किंगरी बिंगरी |
3- बालचा |
4- चोरी होती |
5- लमलंग |
6- शलशता |
7- तंजुन |
8- घाटर लिया |
9- भ्यूठार |
10- कोई धूरा |
नोट – माणा दर्रे को डुंगरीला भी कहा जाता है | ये भारत में सबसे ऊंचाई पर स्थित दर्रा है |
3- उत्तरकाशी और तिब्बत को जोड़ने वाले दर्रे –
1- सांग चोकला |
2- मुलिंगा ला |
3- नेलंग ला |
4- थांगला |
2 – दो जनपदों / राज्यों को जोड़ने वाले दर्रे –
उत्तरकाशी – हिमाचल = श्रींगकन्ठ दर्रा |
उत्तरकाशी – चमोली = कालिंदी |
चमोली – पिथौरागढ़ = बाराहोती, लातुधुरा, टोपीदूंगा, मार्चयोग |
बागेश्वर – पिथौरागढ़ = ट्रेलपास |
बागेश्वर – चमोली = सुन्दरदुंगा |
चम्पावत – पिथौरागढ़ = लासपा |
3 – स्थानीय दर्रे
पिथौरागढ़ = सिंगाला, जयंतीधुरा, घाटमीला, नामा |
चमोली = मेहरीला, मोखधुरा |
उत्तरकाशी = बुराँसू, ओडेन्स कोल |
2-महान हिमालय
इसे हिमाद्रि आंतरिक हिमालय या उच्च नाम से भी जाना जाता है ये ६ जिलो उत्तरकाशी चमोली टिहरी रुद्रप्रयाग बागेश्वर एवं पिथौरागढ़ तक विस्तारित है | इसकी औसत ऊंचाई 15-30 km है | औसत ऊंचाई 4500-7817 m है |
इसमें प्रमुख चोटियां निम्न है –
1 – नंदा देवी पश्चमी – 7817 मीटर ( यह उत्तराखंड की सबसे ऊँची पर्वत चोटी है |) |
2 – कामेट पर्वत – 7756 मीटर ( यह उत्तराखंड की दूसरी सबसे ऊँची चोट है | ) |
3 – नंदा देवी पूर्वी |
4 – माणा |
5 – बद्रीनाथ |
6 – चौखम्बा |
7 – त्रिशूल |
8 – सतोपंथ |
9 – द्रोणागिरी |
10- गंधमादन |
नोट – त्रिशूल पर्वत को अलग – अलग स्थानों से देखने पर इसकी आकृति अलग – अलग प्रतीत होती है | इस भाग में 12000 फ़ीट से ऊपर वनस्पतियाँ नहीं पायी जाती है |10000 – 12000 फ़ीट के बीच नुकीली पत्तियों वाले पौधे पाए जाते है |
नोट – उत्तराखंड में गर्मियों को स्थानीय भाषा में मेंरुरी या खर्साऊ कहा जाता है | जबकि सर्दियों को हियूंद तथा वर्षा को चौमासा कहा जाता है |
3- मध्य हिमालय
यहां पर आंशिक रूप से बर्फ से आच्छादित होने के कारण इसे हिमांचल भी कहा जाता है | ये उत्तराखंड के 9 जिलों – देहरादून उत्तरकाशी टिहरी रुद्रप्रयाग पौड़ी चमोली अल्मोड़ा नैनीताल एवं चम्पावत तक विस्तारित है |
इसकी औसत चौड़ाई – 70 – 100 km है | इसकी औसत ऊंचाई 1200 से 4500 मीटर तक है | इसका उत्तर की अपेक्षा दक्षिणी ढाल तीव्र है | इसलिए यहाँ भू – स्खलन होता रहता है |
इस क्षेत्र में में तांबा, ग्रेफाइट, जिप्सम, एवेस्ट्स आदि खनिज पाए जाते है | जबकि कुछ नदियां जैसे – सरयू, रामगंगा, लधिया, नयार आदि गहरी घाटियों में बहती है| इन नदी घाटियों में ज्वार, धान, मक्काआदि का उत्पादन होता है |
अलकनंदा घाटी ज्वार के लिए, जबकि अल्मोड़ा घाटी मक्के के लिए प्रसिद्ध है |इस भाग में नाग टिब्बा , लाल टिब्बा , मसूरी,रानीखेत , बिनसर, दूधातोली आदि पत्थर भी पाए जाते है |
दूधातोली
(ये चमोली , अल्मोड़ा ,तथा पौड़ी गढ़वाल में स्थित है इसे उत्तराखंड का पामीर कहा जाता है |
यहां से ५ नदियां – अटागाड़ ,वुनो , पश्चिमी रामगंगा , पूर्वी और पश्चिमी नयार निकलती है | यहां पर वीर चंद्र सिंह गढ़वाली तथा बाबा मोहन उत्तराखंडी की समाधी है | तथा प्रत्येक वर्ष १२ जुलाई को यहां पर्यावरण मेला लगता है |
यही पर स्थित गैरसैण को उत्तराखंड की राजधानी बनाये जाने की मांग की जा रही थी)
मध्य हिमालय में तापमान 18 से 20 ०C और वर्षा 160 cm से 200 cm तक होती है |
यहां पर शीतोष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन पाए जाते है | इसमें प्रमुख वृक्ष देवदार, चीड़, बांज, आदि पाए जाते है |
यहां पर 45 से 60 प्रतिशत भाग पर बांज पाए जाते है | यहां पर अखरोट, चेरी, नाशपाती आदि फलों का उत्पादन होता है |
मध्य हिमालय में निम्नलिखित प्रमुख पर्वत पाए जाते है –
जैलंग | चमोली |
नर नारायण पर्वत | चमोली |
नंदाकोट | चमोली |
हाथी पर्वत | चमोली |
बन्दरपुच्छ पर्वत | उत्तरकाशी |
ओम पर्वत | पिथौरागढ़ |
गौरी पर्वत | चमोली |
कालोंका | चमोली |
पंचाचूली | चमोली / पिथौरागढ़ |
नीलकंठ पर्वत | चमोली |
क्रौंच पर्वत्त | रुद्रप्रयाग /चमोली (उत्तर भारत में क्रांतिकेश का एक मात्र मंदिर) |